June 21, 2025 3:26 AM

कोंडागांव कलेक्टर के चार्ज लेते ही संदिग्ध खाद से लदे वाहनों को छोड़े जाने का मामला – तत्कालीन एसडीएम के आदेश को लेकर उठने लगे गंभीर सवाल – NEWS CG 24

कोंडागांव/केशकाल जिला के नवपदस्थ कलेक्टर के पदभार ग्रहण करते ही कृषि विभाग द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में पकड़े गये संदिग्ध खाद से लदी वाहनों को आनन फानन में छोड़ देने का मामला गंभीर मोड़ लेता जा रहा है, संदिग्ध खाद को जिला प्रशासन के ही सक्षम अधिकारी द्वारा जिले से बाहर स्थानांतरित होने के कुछ घंटे पहले पदभार सौंपने के पूर्व ट्रकों को छोड़ने आदेश जारी कर दिया, उनके इस फैसले पर गंभीर प्रश्न खड़ा हो गया है ।संदिग्ध खाद से लदी वाहनों को छोड़ने हेतु जिस बिल को आधार बनाया गया वह न सही माना जा सकता है और न उसे पर्याप्त आधार माना जा सकता है।

क्योंकि जो बिल या इनवॉइस है इसमें सप्लायर का नाम राय कृषि केंद्र महासमुंद है उसने सिंगनपुर के पते पर नीलेश दीपांकर के नाम से बिल काटा है, जिसमे कई कमियां और खामियाँ हैं।

1. बिल का अवलोकन करने पर पता चलता है,बिल जारी करने वाले राय कृषि केंद्र महासमुंद के पास केवल कीटनाशक और बीज का ही लाइसेंस है उर्वरक(खाद) का नही।
2. पकडे गए संदिग्ध उर्वरक tokyo के बेग पर पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम ,सल्फर और मिक्सचर micronutrient लिखा हुआ है जो की उर्वरक के अंतर्गत आता है अर्थात उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अंतर्गत आता है। इस प्रकार के उर्वरक को विक्रय और भण्डारण के लिए लाइसेंस की आवश्यकता पड़ती है। हालाँकि ये खाद प्रथम दृष्टया संदिग्ध है और बेग में जो तत्व लिखा गया है वो है या नही इसकी पुष्टी भी नही हो पाई है और माल का सेम्पल जाँच के लिए लैब भेज गया है।

3.बिल नीलेश दीपांकर के नाम से काटा गया है न की किसी फर्म या दुकान के नाम से। अगर दुकान के नाम से काटा गया होता तो उस दुकान का नाम और GST नंबर इनवॉइस में अंकित करना जरुरी होता है। जो अंकित नही किया गया है।

4. जब विभाग की टीम ने दोनों वाहनों को मौके से छोटी गाड़ियों में इस माल को सप्लाई करते हुए सिलाटी गाँव में पकड़ा तब मांगे जाने पर ट्रको के चालको द्वारा किसी भी प्रकार का दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किया गया। परिणामस्वरूप कार्यवाही करते हुए विभाग की टीम ने वाहन समेत माल को जप्त कर पुलिस थाना धनोरा में वाहनों को सुपुर्द किया गया। यंहा गौर करने वाली बात है कि सम्पूर्ण कार्यवाही कृषि विभाग की टीम द्वारा की गई । विभाग के पास वाहन समेत जप्त माल को रखने की कोई तात्कालिक व नजदीकी व्यवस्था न होने के कारण इसे पुलिस अभिरक्षा में सौपा गया थगौर करने योग्य एक और तथ्य है कि मांगे जाने पर मौके पर कोई दस्तावेज़ या इनवॉइस की कॉपी नही दिखाई गई परंतु बाद में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व केशकाल को कैसे उपलब्ध कराया गया? जबकि मालवाहक ट्रको के चालक बिना किसी दस्तावेज के माल सप्लाई कर रहे थे जो नियम विरुद्ध है।

5. सम्पूर्ण प्रकरण में तात्कालिन अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) केशकाल शंकरलाल सिन्हा की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है। संदिग्ध खाद को ले के आने वाले ट्रकों को छोड़ने का आदेश (164/अ.वि.अ./2024/ केशकाल/ दिनांक 2024) धनोरा थाना प्रभारी को 5 जनवरी 2024 को एसडीएम केशकाल ने ही जारी किया। यद्यपि कृषि विभाग द्वारा कार्यवाही 5 जनवरी 2024 को ही की गई थी जिसमे विभाग द्वारा थाने में सुपुर्दगी संबंधी दस्तावेजो को पूर्ण करने की प्रक्रिया अपराह्न 5.30 बजे के आसपास तक चली। गौरतलब है कि ट्रको को छोड़ने का आदेश भी 5 जनवरी को ही जारी किया गया। अब सवाल यह उठता है कि कार्यालयीन समय की समाप्ति के बाद कैसे उक्त तिथि में ही वाहनों को छोड़ने का आदेश जारी किया गया?6. तत्कालीन एसडीएम केशकाल ने अपने आदेश में थाना प्रभारी धनोरा को लिखा है

” ट्रक क्रमांक CG12S3546 एवं CG070654 के मालिक द्वारा खाद टोक्यो के सम्बन्ध में आवश्यक GST दस्तावेज़ प्रस्तुत किया गया है।खाद टोक्यो के असली या नकली होने के सम्बन्ध में कृषि विभाग के द्वारा परिक्षण उपरांत कार्यवाही की जावे। उपरोक्त वाहनों में भरे गए खाद को कृषि विभाग के अधिकारी हेमलाल पदमाकर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी व उर्वरक निरीक्षक केशकाल के सुपुर्दगी में दिया जाकर दोनों वाहनों को वाहन मालिक अमित शर्मा निवासी धमतरी जिला धमतरी को सुपुर्दगी में दिया जावे”जाँच का विषय यह उत्पन्न होता है कि क्या उक्त अधिकारी ने ट्रक मालिक द्वारा प्रस्तुत GST बिल का परिक्षण किया? क्या सम्बंधित GST बिल जारी करने वाले राय कृषि केंद्र के उर्वरक विक्रय एवं भण्डारण अनुज्ञप्ति(लाइसेंस) की उपलब्धता या वैधता की जाँच करवाई या स्वयं की? क्या उक्त अधिकारी को उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की जानकारी है? क्या उक्त अधिकारी ने उपसंचालक कृषि कोंडागांव या सक्षम अधिकारी से ट्रकों को छोड़ने संबंधी आदेश जारी करने से पहले अभिमत प्राप्त किया? क्या उक्त अधिकारी के आदेशानुसार थाना प्रभारी धनोरा ने ट्रको को छोड़ने से पहले जप्त उर्वरक को कृषि विभाग को सौपने के लिए सूचना दी?
इस प्रकरण में किसानो के हितों को दरकिनार कर जालसाज फर्जी संदिग्ध उर्वरक विक्रेताओं के पक्ष में नियमो से परे जा कर तुगलकी आदेश जारी किया गया है । इसकी जाँच की जानी चाहिए।
कृषि विभाग के अनुसार ट्रक चालक व जप्त ट्रक ही ऐसे माध्यम थे जिनके द्वारा नकली खाद के निर्माता, सप्लायर और पूर्व में कँहा कँहा सप्लाई दी गई, की जानकारी ट्रक चालको से पूछताछ कर ही प्राप्त की जा सकती थी। सम्पूर्ण नकली खाद माफिया का भंडाफोड़ करने के लिए, छत्तीसगढ़ में पुरे नकली खाद चैनल को एक्सपोज़ करने का यही जरिया हो सकते थे अब होना क्या चाहिए

– सबसे पहले एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दोनों ट्रकों को पुनः अभिरक्षा में ले कर वाहन मालिक और चालको से कड़ाई से पूछताछ होनी चाहिए।5जनवरी को जप्त किया गया 482 बोरी खाद किस अधिकारी के आदेश पर केशकाल लैम्प्स में भेजा गया और 8जनवरी को क्यों पंहुचा तथा 482बोरी खाद में से मात्र 438 बोरी खाद ही कैसे पंहुचा शेष 44बोरी खाद कंहा गायब हो गया ?
संदिग्ध उर्वरक का सप्लायर “राय कृषि केंद्र” महासमुंद के समस्त लाइसेंसों, सम्बंधित उपलब्ध स्टॉक की गुणवत्ता, सेम्पल, GST आदि की जाँच की जानी चाहिए। यद्यपि राज्य स्तरीय प्रकरण होने के कारण एवं प्रकरण कई जिलों से सम्बंधित होने के कारण राज्य स्तरीय टीम गठित कर जाँच करनी चाहिए।
कोंडागांव जिले में लोकल सप्लायर नीलेश दीपांकर के विरुद्ध FIR दर्ज कर हिरासत में ले के पूछताछ की जानी चाहिए। क्योंकि प्राप्त जानकारी अनुसार उसके पास लाइसेंस भी नही है और उसके द्वारा कोंडागांव कांकेर और अन्य जिलों में लंबे समय से ये गोरखधंधा चलाया जा रहा है। उसके इस गोरखधंधे से कई किसान बर्बादी की कगार पर आ चुके होंगे।

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